۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
रहबर

हौज़ा/हमें इस्लामी अख़्लाक़ को जानना भी चाहिए - हम सबको, इसमें बच्चे और बूढ़े की कोई बात नहीं है, लेकिन नौजवान ज़्यादा और बेहतर हैं और इस्लामी अख़लाक़ से आरास्ता भी होना चाहिए

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,हमें इस्लामी अख़लाक़ को जानना भी चाहिए - हम सबको, इसमें बच्चे और बूढ़े की कोई बात नहीं है, लेकिन नौजवान ज़्यादा और बेहतर हैं - और इस्लामी अख़लाक़ से आरास्ता भी होना चाहिए


हर किसी को अपने दिल को, अपने रवैये को लगातार सुधारना और अपने वुजूद की बुराइयों और गंदगियों से लगातार जंग करना चाहिए। दुआए मकारिमुल अख़लाक़ को, जो सहीफ़ए सज्जादिया की 20वीं दुआ है, ज़्यादा से ज़्यादा पढ़िए ताकि आपको पता चले कि इस दुआ में इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से जिन चीज़ों को मांगा है, वो क्या हैं।


अपने आपको इमामों के अल्फ़ाज़ से, सहीफ़ए सज्जादिया की दुआओं से, हमारी अख़लाक़ी बीमारियों के इलाज और हमारे वुजूद के घावों के उपचार की सलाहियत रखने वाली इन कारगर दुआओं से परिचित करें। इस राह से हासिल होने वाली दुआ, तवस्सुल, तवज्जोह, अल्लाह से ख़ौफ़ और नूरानियत की क़ीमत समझें।

इमाम ख़ामेनेई,

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